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संजीवनी विद्या महामृत्युंजय प्रयोग

योगीराज यशपाल जी

प्रकाशक : रणधीर प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :191
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 17153
आईएसबीएन :0

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"जीवन की चुनौतियों पर विजय : महामृत्युंजय की पुनर्जीवित शक्ति"

दैत्यों के गुरू शुक्रचार्य जी ने महामृत्युंजय उपासना करके जो लाभ अर्जित किया था, उसके फलस्वरूप ही उन्होंने युद्ध में मृत हुये दैत्यों को पुनर्जीवित कर लिया था। इसी करण महामृत्युंजय को संजीवनी विद्या कहा गया है।

इसी महामुत्युंजय की उपासना द्वारा महर्षि मार्कण्डेय ने अपनी लघु आयु को दीर्घ जीवन में परिवर्तित कर लिया था।

प्राण संकट, असाध्य रोग, आक्समिक दुर्घटना, परिवार विघटन, गृह क्लेश और धन के अपव्यय इत्यादि पर नियन्त्रण पाने के लिये यह महामृत्युंजय संजीवनी विद्या का काम करती है।

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